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ओशो की द्रष्टि में आरक्षण


ओशो की द्रष्टि में आरक्षण
. यही ब्राह्मण.... इस देश में, इस देश की बड़ी से बड़ी संख्या शूद्रों को सता रहे हैं, सदियों से........... ये कैसे शान्त लोग हैं?........ और अभी भी इनका दिल नहीं भरा, अभी भी वही उपद्रव जारी है....... अभी सारे देश में आग फैलती जाती है.... और गुजरात से क्यों शुरू होती है आग?...... पहले भी गुजरात से शुरू हुई थी, तब ये जनता के बुद्धू सिर पर आ गये थे, अब फिर गुजरात से शुरू हुई है.... गुजरात से शुरू होने का कारण साफ़ है..... ये ‘’महात्मा गाँधी’’ के शिक्षण का परिणाम है, वे दमन सिखा गये हैं, और सबसे ज्यादा गुजरात ने उनको माना है, क्यों कि गुजरात के अहंकार को बड़ी तृप्ति मिली है, की गुजरात का बेटा और पूरे भारत का बाप हो गया..... अब और क्या चाहिए?
. गुजराती का दिल बहुत खुश हुआ, उसने जल्दी से खादी पहन ली. मगर खादी के भीतर तो वही आदमी है जो पहले था, महात्मा गाँधी के भीतर खुद वही आदमी था जो पहले था, उसमे भी कोई फर्क नहीं था, महात्मा गाँधी बहुत खिलाफ थे इस बात के, कि शूद्र हिन्दू धर्म को छोड़ें, उन्होंने इसके लिए उपवास किया था, आजन्म आजीवन मर जाने की धमकी दी थी............ आमरण अनशन............. कि, शूद्र को अलग मताधिकार नहीं होना चाहिए......
. क्यों?........पांच हजार सालों में इतना सताया हैं उसको, कम से कम उसको अब कुछ तो सत्ता दो? .........कुछ तो सम्मान दो?..... उसके अलग मताधिकार से घबराहट क्या थी? ...........घबराहट ये थी कि शूद्रों की संख्या बड़ी है.......... और शूद्र, ब्राह्मणों को पछाड़ देंगे, अगर उन्हें मत का अधिकार प्रथक मिल जाये.......... तो मत का अधिकार रुकवाया गाँधी ने........आमरण अनशन की धमकी हिंसा है, अहिंसा नहीं ! और एक आदमी के मरने से, या ना मरने से, कोई फर्क नहीं पड़ता.....यूं ही मारना है....लेकिन .......दबाव डाला गया शूद्रों पर सब तरह का, कि तुम पर ये लांछन लगेगा की महात्मा गाँधी को मरवा डाला.......यूं ही तुम लांछित हो, ऐसे ही तुम अछूत हो, ऐसे ही तुम्हारी छाया भी छु जाये किसी को तो पाप हो जाता है... तो तुम्हे और लांछन अपने सिर लेने के झंझट नहीं लेनी चाहिए...........बहुत दबाव डाला गया, दबाव डाल कर गाँधी का अनशन तुडवाया गया...........और शूद्रों का मताधिकार खो गया............


. अब गुजरात में जो उपद्रव शुरू हुआ है की शूद्रों को जो भी आरक्षित स्थान मिलते हैं विश्वविधालय में, मेडिकल कॉलेजों में, इन्जीनियरिंग कॉलेजों में............वो नहीं मिलने चाहिए.......... क्यों?...... क्यों कि स्वतन्त्रता में और लोकतन्त्र में सब को सामान अधिकार होना चाहिए................मगर शूद्रों को तुमने पांच हजार साल में इतना दबाया है की उनके विचारों के सामान अधिकारों का सवाल ही कहाँ उठता है?..............सब को गुण के अनुसार स्थान मिलना चाहिए...... लेकिन....... पांच हजार साल से जिनको किताबें भी ना छूने दी गईं, जिनको किसी तरह की शिक्षा मिली, वो ब्राह्मणों से, छत्रियों से, वैश्यों से, कैसे टक्कर ले सकेंगे? उनके बच्चे तो पिट जायेंगे., उनके बच्चे तो कहीं भी नहीं टिक सकते, .उनके बच्चों को तो विशेष आरक्षण मिलना ही चाहिए, और ये कोई दस- बीस वर्षों तक में मामला हल होने वाला नहीं है, पाँच हजार, दस हजार साल जिनको सताया गया है, तो कम से कम १०० –२०० साल तो निश्चित ही उनको विशेष आरक्षण मिलना ही चाहिए., ताकि इस योग्य हो जाएँ कि वो खुद सीधा मुकाबला कर सकें. जिस दिन इस योग्य हो जायेंगे, उस दिन आरक्षण अपने आप ही बंद हो जायेगा.
. लेकिन आरक्षण उनको नहीं मिलना चाहिए, इसके पीछे चालबाजी है..........षड़यंत्र है........ षड़यंत्र वही है क्यों की सब कुछ जाहिर है..........जिनके पैर दस हजार साल तक तुमने बाँध रखे, और अब दस हजार साल के बाद तुमने उनके पैर की जंजीर तो अलग कर ली..... .तुम कहते हो सब को सामान अधिकार है?.......... इस लिए तुम भी दौड़ो दौड में.............लेकिन जो लोग दस हजार साल से दौड़ते रहे हैं, धावक हैं...........उनके साथ, जिनके पैर दस हजार साल तक बंधे रहे हैं, उनको दौड़ाओगे ? तो सिर्फ फज़ीहत होगी इनकी, ये दो चार कदम भी ना चल पाएंगे और गिर जायेंगे..... ये कैसे जीत पाएंगे? ये प्रतिष्पर्धा में कैसे खड़े हो पाएंगे?
. थोड़ी शर्म भी नहीं है इन लोगों को, जो आरक्षण विरोधी आन्दोलन चला रहे हैं, और ये आग फैलती जा रही है, अब राजस्थान में पहुच गयी, अब मध्य प्रदेश में पहुचेगी, और एक दफे बिहार में पहुच गयी तो बिहार तो बुद्धुओं का..... अड्डा है, बस गुजरात के उल्लू और बिहार के बुद्धू अगर मिल जाएँ.......तो पर्याप्त हैं...... इस देश की बर्बादी के लिए फिर कोई और चीज़ की जरूरत नहीं है......... और जादा देर नहीं लगेगी........जो बिहार के बुद्धू हैं, वो तो हर मौके का उपयोग करना जानते हैं, जरा बुद्धू हैं इस लिए देर लगती है उनको, गुजरात से उन तक खबर पहुचने तक थोड़ा समय लगता है, मगर पहुच जायेगी, और एक दफे उनके हाथ में मशाल आ गयी ........तो फिर बहुत मुश्किल है.........फिर उपद्रव भारी हो जाने वाला है, और ये आग फैलने वाली है, ये बचने वाली नहीं है...........और इस सब आग की पीछे ब्राह्मण है.
-ओशो
मुद्रित एवं प्रसारित
-रानी चौधरी